संदीप कम्बोज। यमुनानगर इनसाइडर
यमुनानगर। ट्विन सिटी यमुनानगर-जगाधरी की नवनिर्वाचित महापौर सुमन बहमनी की फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी दिलचस्प है। (complete-story-of-yamunanagar-mayor-suman-bahmani) शिक्षा क्षेत्र से शुरू हुआ सफर राजनीति तक पहुंचा और टीचर, प्रिसिंपल व जिला शिक्षा अधिकारी की नौकरी करते हुए अब वे शहर की प्रथम नागरिक बन चुकी हैं। राजनीति की पिच पर धमाकेदार एंट्री के साथ पहले ही चुनाव में दमदार प्रदर्शन कर महापौर बनी सुमन बहमनी ने विरोधियों को चारों खाने चित कर डाला है। राजनीतिक पारी की शुरुआत में ही नगर निगम यमुनानगर में मेयर की कुर्सी पर काबिज होकर इतिहास रचने वाली सुमन बहमनी सरकारी नौकरी पर रहते हुए समाजसेवा में लगातार सक्रिय रही। विधानसभा चुनाव ठीक पहले अगस्त 2024 में जिला शिक्षा अधिकारी के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में कदम रखा और भाजपा की टिकट पर नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी में पहली बार मेयर का चुनाव लड़ा। पहली ही पारी में 73319 वोटों के बड़े अंतर से विजय पताका फहरा सुमन बहमनी ने विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया। अब वे नगर निगम यमुनानगर में प्रथम नागरिक बन चुकी हैं। भाजपा से टिकट मिलने की बड़ी वजह उनका 1994 से ही भाजपा संगठन से सक्रिय रुप से जुड़ा होना बताया जा रहा है। प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी वे सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहीं, जिससे जनता के बीच भी उनकी पहचान बनी। मधुरभाषी स्वभाव और प्रबंधन कौशल के कारण भाजपा के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार साबित हुईं। संघ और संगठन में उनकी गहरी पैठ के साथ-साथ सुमन बहमनी ने सरकारी सेवा में रहते हुए सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अब स्वैच्छिक वीआरएस लेकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा और सत्ता के गलियारों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने का फैसला किया। बिलासपुर स्कूल में प्रिंसिपल के तौर पर कार्य किया और फिर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दीं। शिक्षा के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के चलते वे प्रशासनिक कार्यों में भी दक्ष मानी जाती हैं। वर्ष 2024 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
सुमन बहमनी ने बिलासपुर स्कूल की बदल डाली थी सूरत, अब यमुनानगर के विकास की चुनौती
सरकारी स्कूलों के प्रति बनी लोगों की अवधारणा को तोड़ने वाली सुमन बहमनी के समक्ष अब ट्विन सिटी यमुनानगर-जगाधरी के विकास की चुनौती है। बतौर शिक्षक सुमन बहमनी ने अपनी मेहनत के दम परजमाने को दिखा दिया था कि सरकारी स्कूल भी निजी विद्यालयों से कम नहीं हैं। सुमन ने बिलासपुर स्थित राजकीय आदर्श संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल का ऐसा कायाकल्प किया कि यहां अध्ययनरत 80 फीसद से ज्यादा छात्र शिक्षकों व अफसरों के बच्चे थे। बता दें कि राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल बिलासपुर को वर्ष 2007 में आदर्श संस्कृति यानि माडल स्कूल का दर्जा मिला था। तब स्कूल में महज 600 छात्र थे। माडल स्कूल बनने के बाद इसमें अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होने लगी। काफी बच्चे तो अंग्रेजी से डर कर दूसरे स्कूल में शिफ्ट हो गए। वर्ष 2003 में राजकीय सीसे स्कूल जगाधरी से पदोन्नति लेकर सुमन बहमनी राजकीय स्कूल बिलासपुर की प्रिंसिपल बनी थी। माडल स्कूल बनने के बाद यहां बच्चों की संख्या बढ़ाना किसी चुनौती से कम नहीं था। क्योंकि स्कूल में मात्र 10 कमरे थे जिनमें 600 बच्चों को बिठाना इतना आसान नहीं था। तब सुमन बहमनी क्षेत्र के मौजिज लोगों से मिली जिनकी मदद से स्कूल में 25 कमरों का निर्माण कराया गया। वर्ष 2010 में बच्चों की संख्या 1500 को पार कर गई तथा बाद में यह संख्या 2400 तक जा पहुंची। प्रिसिपल से पदोन्नत होकर डिप्टी डीईओ बनी सुमन बहमनी ने लोगों का विश्वास जीतने के लिए सबसे पहले अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में दाखिल किया। इसके बाद दूसरे शिक्षक भी अपने बच्चों को यहां पढ़ाने लगे थे।
सरकारी कामकाज की बारीक समझ, पति हैं आयुष विभाग से सेवानिवृत्त
सुमन बहमनी का राजनीति और प्रशासन दोनों से गहरा नाता है। उनके पति डॉ. सतपाल बहमनी आयुष विभाग से सेवानिवृत्त हैं, जबकि उनके पिता टेक चंद जेल विभाग में डीएसपी रहे हैं। इस प्रशासनिक पृष्ठभूमि ने उन्हें सरकारी कामकाज की बारीक समझ दी है, जिससे वे राजनीति में भी कुशलता से आगे बढ़ सकती हैं। उनके दो बच्चे हैं बेटा सिविल इंजीनियर है और बेटी डॉक्टर। 13 फरवरी को उनके जन्मदिन के अगले ही दिन भाजपा ने उन्हें मेयर पद के लिए उम्मीदवार घोषित कर बर्थडे गिफ्ट दिया।
साढौरा में विधायक का टिकट चाहती थी सुमन
सुमन बहमनी ने अभी हाल ही में अक्तूबर 2024 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी साढौरा सीट से टिकट के लिए दावेदारी पेश की थी। हालांकि, भाजपा ने उन्हें वहां टिकट नहीं दिया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और पार्टी के साथ लगातार जुड़े रहकर संगठन में सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी मेहनत और समर्पण का ही नतीजा है कि पार्टी ने उन्हें मेयर पद के लिए टिकट देकर एक बड़े अवसर से नवाजा।
अब शुरु हुई सुमन बहमनी की असली परीक्षा
अपनी मेहनत के दम पर शिक्षा जगत में आयाम स्थापित करने वाली सुमन बहमनी अब यमुनानगर जगाधरी की मेयर बन चुकी हैं। अब उनके सामने ट्विन सिटी के विकास की चुनौती है। अब देखना यह है कि क्या वे शहर का विकास कर पाएंगी ? क्या वे शहर की सड़कों को गड्ढा मुक्त कर पाएंगी? क्या शहर का सौंदर्यकरण कर ट्विन सिटी यमुनानगर जगाधरी को देश के स्वच्छ व स्मार्ट सिटी की श्रेणी में ला पाएंगी? यह सब तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन सुमन बहमनी की असली परीक्षा अब शुरु हो गई है।
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